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हम शर्मिंदा हैं कि ऐसे समाज में रह रहे हैं,मैं मर जाना चाहता हूँ.

दरअसल हम बात कर रहे हैं मधेपुरा टाइम्स पर प्रकाशित उस खबर की,जिसने हमारे ही पाठकों को हिला कर रख दिया.ये खबर थी 'मासूम के साथ बलात्कार फिर ह्त्या मामले में पुलिस नकारा साबित' जो मधेपुरा टाइम्स पर ७ दिसंबर को छपी थी.खबर छपी और लोगों का गुस्सा उबाल खाने लगा.लगा कि बलात्कारी अगर सामने आ जाये तो लोग उसके टुकड़े-टुकड़े कर दें.मधेपुरा टाइम्स भी मानती है कि ऐसे अपराधियों के मामले में लोगों को क़ानून अपने हाथ में ले लेना चाहिए.न्यायिक प्रक्रिया काफी लंबी है और कुछ मामलों में कमजोर भी.
      हमारे पाठकों ने भी अपना गुस्सा मधेपुरा टाइम्स के माध्यम से निकाला.अपनी टिप्पणी में पुणे से शाही शहाब लिखती हैं कि "हे भगवान ! ये क्या हो रहा है?" क़तर से आलोक कहते है कि ये अच्छा नही हुआ.खबर के साथ छपी तस्वीर को देखकर बेगुसराय से रविराज का मानना है  कि चूकि ये तस्वीर लोगों को हिंसक बना सकती है,अत:  मधेपुरा टाइम्स को ऐसी तस्वीर से बचना चाहिए.वहीं रविराज भारती ने मधेपुरा टाइम्स से आग्रह किया कि कृपया फेसबुक पर ऐसी खबर का लिंक न दें.कुछ ऐसा ही अनुरोध शिव प्रकाश चन्द्र भी करते हैं कि कृपया इस फोटो को न्यूज से हटा दें.पाठकों के अनुरोध पर हमने उस फोटो के कुछ उद्वेलित करने वाले अंश को तो ढँक दिया पर इससे समाज में ऐसा कुकृत्य रुक तो नही गया,या फिर इससे इस मासूम के साथ बलात्कार करने वाले हैवान को सजा तो नही मिल गयी.
     मधेपुरा टाइम्स के प्रोमोटर संदीप सांडिल्य कहते है कि ऐसे अपराध करने वालों को बीच चौराहे पर खड़ा करके गोली मार देना चाहिए.निखिल मंडल तो यहाँ तक कहते हैं कि ये हमारे समाज के लिए शर्म की बात है.ऐसे दोषी को सरे आम लटका देना चाहिए.मैनचेस्टर,अमेरिका से अमित प्रकाश कहते हैं कि ये खबर मानवता को झकझोर कर रख देने वाली थी.वहीं दिल्ली  की सुमिता बनर्जी लिखती हैं कि मैं इस खबर को पढ़ने के बाद रात भर सो नही पाई.
  एक बड़ा सवाल: हम ऐसी घटना को सिर्फ सुनते हैं  या मीडिया के माध्यम से तस्वीर देखते है,तब हमारी प्रतिक्रिया ऐसी होती है.कल्पना कीजिए उस मासूम की,जो बलात्कार की शिकार हो जाती हैं या फिर सोचिये उस परिवार पर क्या गुजरती होगी  जिनकी बच्चियों को बलात्कार का शिकार बना कर उसकी हत्या कर दी जाती है.और ऊपर से जब पुलिस और कानून नकारा साबित हो जाये तब इस देश का भविष्य क्या होगा.यहाँ आवश्यकता है कड़े कानून की और ऐसे मामले में स्पीडी ट्राइल की जिससे हर हाल में ऐसे कुकर्म के दोषी को मृत्युदंड मिल सके.अगर ऐसा नही हुआ तो ज्यादातर लोग हमारे पाठक शिव प्रकाश चन्द्र की तरह सोचने लगेंगे जिन्होंने लिखा " हे भगवान ये क्या हो रहा है?निश्चय ही ये घटना हमारे समाज के मुंह पर एक तमाचा है.पुलिस और प्रशासन कब तक ऐसे अपराधियों को पकड़ सकती है ये देखने का समय नही है.मैं एक भारतीय होने के नाते भारत की जनता से आग्रह करता हूँ कि ऐसे अपराधियों को खोज खोज कर काट डालो.भारत की जनता ऐसे कायरों के खून की प्यासी है.मधेपुरा टाइम्स ये फोटो काफी विचलित कर रहा है,मेरा आग्रह है कि इसे हटा लें तो अच्छा रहेगा.हम काफी शार्मिन्दा हैं कि हम ऐसे समाज में रह रहे हैं.मैं मर जाना चाहता हूँ."  
हम शर्मिंदा हैं कि ऐसे समाज में रह रहे हैं,मैं मर जाना चाहता हूँ. हम शर्मिंदा हैं कि ऐसे समाज में रह रहे हैं,मैं मर जाना चाहता हूँ. Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on 4:01 am Rating: 5

2 टिप्‍पणियां:

  1. Madhepura Times ko bahut bahut dhanyabad jinhone khule taur se janta ke vicharon ka samarthan kiya hai... ye kahkar ki madhapura times bhi manti hai ki aise mamle me logo ko kanoon apne hath me le lena chahiye. sach maniye to yahi samay ki mang bhi hai.

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