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धर्म के नाम पर बलि प्रदान:बकवास नही तो और क्या है?

धर्म और खाने-पीने का चोली दामन का साथ रहा है.धर्म के ठेकेदारों का मन जब शाकाहार (चूरा-दही) से नही भरा तो उन्होंने मांसाहार का एक नायब तरीका ढूंढ लिया,जो था-बलि प्रदान.बलि प्रदान में पशुओं को बेरहमी से काटा जाता है.यहाँ इसके मांस को 'प्रसाद' कहा जाता है और इसे बड़े चाव से खाया जाता है.हममे से भी बहुत सारे लोग इस बलि प्रथा का समर्थन करते हैं और बेबस पशुओं की जान ले लेतें है और फिर उनका मांस बड़े चाव से तो खाते ही हैं साथ साथ अपने को धार्मिक  भी कहते है.पर कभी आपने उस पल को अपने पर लेकर जीया है जब हम बेरहमी से इन मासूम पशुओ की हत्या कर देते हैं.जब गंडासे का प्रहार उनकी गर्दन पर पड़ता है उसके बाद उसे तडपते हुए कभी आपने गौर से देखा है? यदि नहीं, तो देखिये इस वीडियो को और तब आप भी इस बात से सहमत होंगे कि धर्म के नाम पर बलि प्रदान बकवास नही तो और क्या है?क्या इस परंपरा को हम बंद नही कर सकते?
धर्म के नाम पर बलि प्रदान:बकवास नही तो और क्या है? धर्म के नाम पर बलि प्रदान:बकवास नही तो और क्या है? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on 12:57 am Rating: 5

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