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बीमारी और मुक़दमे से बचाना भगवान !

जी हाँ,ये दो चीज जिस घर को लग जाए समझो वो बर्बाद हो गया.आखिर क्यों हो जाते हैं लोग बीमारी और मुक़दमे से बर्बाद?क्या बीमारी  छूटने का नाम नही लेती?और क्यों मुकदमा खत्म होने में इतना समय लगता है कि  तब तक मुकदमेबाज बर्बाद होकर रह जाते है.क्या बीमारी और मुकदमा काफी खर्चीले  आइटम हैं?


  बिलकुल नही.इन्हें खर्चीला बनाया गया है.क्योंकि इन्हें खर्चीला बनाने से कुछ लोग मालामाल हो जाते हैं और कुछ कंगाल.आप बीमार पड़े और पहुंचे डॉक्टर के पास.....पहले कड़ी फीस फिर टेस्ट्स...टेस्ट्स में कमीशन  की बड़ी रकम डॉक्टर के पास ही जाती है.फिर डॉक्टर ने लिखी दवाई...आपने खरीदी और उसमे से भी हैवी कमीशन डॉक्टर साहब के पास ही.ये मेडिकल रिप्रजेंटेटिव होते हैं न, ये डॉक्टर को बड़ी रकम या गिफ्ट आइटम देते हैं उनकी कंपनी की घटिया  दवाई लिखने के लिए.यानी कमीशन ही कमीशन और बढ़ जाते हैं आपके खर्चे और आपका रोग.और मालामाल हो जाते हैं डॉक्टर,लैब वाले और दवा कंपनी और दुकान वाले.अगर सब कुछ ईमानदारी से हो तो आप अधिकांश बीमारी में कम खर्च में ही निकल जाते है.अब आप निर्णय ले सके है कि  आज के अधिकाँश डॉक्टर भगवान का रूप हैं या हैवान का?बेहतर है हम अपने स्वास्थ का ध्यान रखें जिससे इन चांडालों के जाल में न फंस सकें.
      दूसरी जगह जहाँ भले लोग जाने से कतराते हैं,वो है अदालत.आधुनिक सन्दर्भ में अदालत शब्द का एक विच्छेद हो सकता है  ओ,दाम दो,लात खाओ,ब जाओ.आप मुकदमा में फंसे तो आपको कचहरी जाना पड़ेगा.वहां आपकी मुलाकात होगी काला कोट धारण किये एक इंसान से जिसका दिल भी कोट की तरह ही काला है.आपको देखते ही इनकी आँखों में एक अजीब सी चमक आ जाती है.ये आपको जोश दिलाएंगे कि विरोधी पार्टी को बर्बाद कर देंगे.फिर काम करने और फीस के नाम पर ये आपकी जेब ढीली करेंगे.पेशकार और जज को घूस देने के नाम पर भी ये आपसे पैसे मांग सकते हैं.यानी आप बर्बाद हो जाते हैं.कुछ वकील ऐसे हैं तो कुछ अच्छे भी होते हैं जिनसे आपकी मुलाक़ात कुछ मुश्किल है क्योंकि ये दलाल टाइप के वकील चापलूस और क्लाइंट फंसाने में माहिर होते है.ज्यादातर पेशकारों की स्थिति भी कम घटिया नहीं है.ये भी कुछ ऐसा ही करते हैं.अगर आप वकील से गिरे,पेशकार पर फंसे तो बात हो गयी 'आसमान से गिरे,खजूर पर अटके'.तो क्यों नही हम समाज में सदभाव बना कर रखें और व्यर्थ के  मुकदमा से ही बचें.
  स्वास्थ्य और सदभाव बनाये रखें तो ही बीमारी और मुकदमा से बचेंगे और तब ही एक स्वस्थ समाज और देश का निर्माण संभव होगा.
बीमारी और मुक़दमे से बचाना भगवान ! बीमारी और मुक़दमे से बचाना भगवान ! Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on 9:20 pm Rating: 5

2 टिप्‍पणियां:

  1. वाह जीजाजी आपने वक़ील और पेशकारों पर क्या बात लिखी हैं...... मालूम हो की लेखक खुद भी पेश्कार है... इस कारण इनकी बात सौ आने सही ही होंगे.............

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  2. हिन्दी है पहचान देश की,हर नाम वेश की
    जन-जन की भाषा है,जीवनधारा ये देश की
    मिला राजभाषा का दर्ज़ा,भारत देश महान में
    कवियों ने भी गीत लिखे,अनगिनत इसकी शान में|
    एक सूत्र में बाँधे सबको,विकसित भारत की आशा है
    सत्य सनातन भाषा का गौरवशाली इतिहास है|
    स्वाभिमान का अपने खुद फिर हमने क्यों उपहास किया
    अँग्रेज़ी को शीश झुका,क्यों हिन्दी का अपमान किया|
    इसकी खातिर हमे कुछ करना ही होगा
    मतभेद भुला सारे हमको,जुरना ही अब होगा|
    हिन्दी की खातिर,हिन्दी में ही काम सभी जब होगा
    एक सूत्र से राष्ट्र जुड़ेगा, उत्थान तभी बस होगा|

    जय हिंद जय भारत

    सपना शाँडिल्या

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