स्थानीय विधायक के साथ लाश को लेकर प्रदर्शन |
इस साल के अंत में २८ दिसंबर को जो मधेपुरा में हुआ वो काफी शर्मनाक है.इस घटना से यहाँ के लोगों की सड़ी मानसिकता की झलक मिलती है.घटना की शुरुआत हुई एक छोटी सी बात से.स्थानीय कॉलेज चौक के पास एक व्यक्ति को एक गाय ने लात क्या मारी वह भी जानवरों सी हरकत करने लगा.मनेश्वरी यादव ने बीच-बचाव कर झगडा शांत कराया तो गाय की लात खाए संतोष यादव उर्फ कौवा ने सरे आम सैंकडों लोगों के सामने मनेश्वरी यादव की चाकू से गोद-गोद कर हत्या कर डाली.लोगों की भीड़ तमाशबीन रही.किसी ने भी हिम्मत नही दिखाई कि इस कौवा यादव को कौवा समझकर इसकी गर्दन दबा दें.हाल के दिनों में सिंघेश्वर की एक भीड़ ने अपराधियों को सबक सिखा दिया था.तो क्या जब मनेश्वरी यादव की सरेआम हत्या की जा रही थी तो सारे के सारे वहां हिजड़े ही खड़े थे? लगता तो ऐसा ही है.अगर भीड़ का एक-एक हाथ भी इस कौवा पर पड़ता तो कौवा यादव की चटनी बन जाती.पर ऐसा नही हुआ.जिस मनेश्वरी ने शांति बहाल करने की कोशिश की ,उसे जान से मार डाला गया.इस घटना ने साबित कर दिया कि मधेपुरा में भीड़ हिजड़े की भीड़ भी हो सकती है.दूसरे दिन लोगों ने सड़क जाम किया.जो वक्त फैसला लेने का था उस समय हकीकत को सिनेमा समझकर देखते रहे और दूसरे दिन धरना प्रदर्शन की उर्जा इनमे कहाँ से आ गयी? इससे अपराधियों का मनोबल बढ़ेगा.कल को ये भी हो सकता कि भीड़ के सामने किसी की माँ-बहन की इज्जत लूट ली जाय और ये हिजड़े इसे उस समय भी इसी तरह सिनेमा समझकर देखते रह जाये.आवश्यकता है ऐसी सड़ी मानसिकता को त्यागने की और उसी समय उचित फैसला लेने की जिससे अपराधियों के हौसले पस्त हो सके.यहाँ आवश्यकता है कानून को जनता अपने हाथ में लेकर 'फैसला ओं द स्पॉट' कर दे.
इन हिजड़ों की भीड़ को माफ नही किया जा सकता
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
6:35 am
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what the news along appreciable thought...really awesome and damn for the Madhepur's peoples ......
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