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क़ानून मेहरबान, चरित्रहीन पहलवान

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार कहा कि भारतीय संस्कृति में किसी महिला का सिर्फ ये ही कह देना कि उसके साथ बलात्कार हुआ है,अपने आप में यह बयान काफी है.यह बात जगजाहिर है कि भारत में  क़ानून औरतों को विशेष सुविधा देती है और बस.......क़ानून की यही विशेषता कई मामलों में उसकी कमजोरी साबित हो रही है.औरतों पर हिंसा तो बहुत पहले से ही चलती आ रही है,पर अब कुछ औरतों ने भी क़ानून को मोहरा बनाकर मर्दों को तंग व तबाह करना शुरू कर दिया है.कुछ औरतों ने तो इसे कमाने-खाने का जरिया भी बना लिया है.प्रताड़ना (498) का मामला हो या हो फिर बलात्कार (376) का मामला,आज इनमे से बहुत से मामले झूठे ही दर्ज कराये जा रहे हैं.सूत्रों की मानें तो मधेपुरा जिले में कम से कम सौ ऐसी महिलाएं हैं जो किसी शातिर व्यक्ति की सलाह पर किसी के विरूद्ध बलात्कार का मुकदमा परिवादपत्र के रूप में करा देती हैं.तथाकथित पीड़िता और उसके एक दो दलाल के बयान पर न्यायालय से अभियुक्त को नोटिस जाती है.मामला बलात्कार जैसा संगीन हो तो जमानत कहाँ से मिलेगी? और यहाँ से शुरू होता है ब्लैकमेल का धन्धा. जेल जाने के बाद आप जेल से निकलने के लिए कम्प्रोमाइज करने को लाचार हो जाते हैं,और यहाँ आपसे ऐंठी जाती है एक बड़ी रकम.फिर न्यायालय में बयान बदल कर केश को कमजोर किया जाता है और तब ही आप जेल से बाहर निकल पाते हैं.आपसे ली गयी रकम से वो महिला और उसका दलाल ऐश करतें  है और फिर नए मुल्ल्हे को तलाश करने में लग जातें  है.कई लोग तो डर के मारे पहले से ही इनके सामने सरेंडर कर जाते हैं और इनका कहा मान लेते हैं.
       प्रताड़ना के भी बहुत से मामलों में अब ऐसा ही होने लगा है.ससुराल वाले से मामूली सा विवाद हुआ नही कि दहेज अधिनियम तथा प्रताड़ना का मुकदमा करने की धमकी.आमतौर पर क़ानून पीड़िता  का ही साथ देती है,इस बात को ये अच्छी तरह जानती है और बस ससुराल वाले को झुकाने और ब्लैकमेल करने के लिए ये क़ानून को ही मोहरा बना लेती हैं.
     क्या क़ानून में कुछ इस तरह का बदलाव नही होना चाहिए कि अगर पीड़िता अपने बयान को बदले तो उलटी कार्यवाही उसी पर हो या फिर महिलाओं के मालों में भी अन्य मामलों की तरह पूरी तरह जांच हो और तब ही किसी आरोपी व्यक्ति पर कोई कार्यवाही हो?
क़ानून मेहरबान, चरित्रहीन पहलवान क़ानून मेहरबान, चरित्रहीन पहलवान Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on 7:57 am Rating: 5

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